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विदाई की बेला

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विदाई की बेला आज आय गयी मीत रे ।
बडी दुःखदायी विदाई होती मीत रे ॥

अपने सभी हैं यहाँ कोई न पराया है।
सपनों के बीच अपना समय बिताया है।
सबही हो स्नेही-सखा-सब प्यारे मीत रे।
 विदाई की बेला आज आय गई मीत रे ॥
कभी था मिलन का उल्लास सिन्धु  मन में ।।
आज बिछडन  का विषाद भरा मान में
अभिव्यक्ति की सामर्थ नहीं मीत रे।  
बड़ी दुःखदायी  बिदाई होती मीत रे
ज्ञान दान किया कर्तव्य मान मन से।
सामर्थ्यनुसार सेवा किया तन-मन से ।।
आत्म सतोष मिला, प्यार-सम्मान रे ।।
विदाई की बेला आज आय गई मीत रे
सभी बाल-गोपालो को पुत्र सम माना ।
स्नेह किया सबसे,न भेद कुछ जाना ।।
 सदभाव पूर्ण व्यवहार किया मीत रे ॥
 विदाई की बेला आज आय गई मीत रे ॥
कोर्स  संग नैतिक शिक्षण नहीं भूले।
चरित्र निर्माण में हुए न कभी ढीले।।
अभिमान नहीं स्वाभिमान से है प्रीति रे।
विदाई की बेला आज आय गई मीत रे
नोकरी के बंधन बंध के समय बिताया ।
चाह के बहुत कुछ भी कर नहीं पाया
सेवा के लिए अब है विस्तृत समाज रे।
विदाई की बेला आज आय गई मीत रे
भष्टाचार की सड़ान्ध सहि नहीं पाऊँ
सामञ्जस्य उससे मैं बना नहीं पाऊँ ।।
यही है विवशता मेरी छूट गया साथ रे॥
विदाई की बेला आज आय गई मीत रे
हो गया स्वतन्त्र आज हुआ स्वच्छन्द मैं ।
किसी का नही आजदबाव निर्द्वन्द्व में ।।
टूट गयी नौकरी की, आज जंजीर रे ।
विदाई की बेला आज आय गई मीत रे
टूट गया साथ आज हो गया अकेला ।
मिट गया बधु आज सबही झमेला ।।
बदल गई आज से जीवन की रीति रे।।
विदाई की बेला आज आय गई मीत रे
आज मैं मगन हआ छोड़ के नौकरिया।
ईश के सहारे अब अपनी डगरिया ।।
ईश्वर के सहारे .अब जिन्दगानी मीत रे।।
विदाई की बेला आज आय गई मीत रे
छोटो  को शुभाशीर्वाद, बड़ों को प्रणाम हैं।
नमस्कार-गुड बाई, आखिरी सलाम है ।।
अन्त में सभी को नमन, हृदय से मीत रे।
बिदाई की बेला आज आय गई मीत रे ।।
जाने - अनजाने जो भी त्रुटि -अपराध हो।
क्षमा कर देना, आप सभी महान हो ।।
 गलती का पुतला हरीराम जोड़े हाथ रे 
विदाई की बेला आज आय गई मीत रे ।।









🌹
(साहित्यकार-श्री हरीराम )

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